हनुमंता शक्ति और साहस का प्रतीक
श्री हनुमान हमारी भारतीय संस्कृति हिंदू एवं इस कलयुग के देव कहे जाते हैं। क्योंकि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कई मंत्र गढ़े गए हैं। यानि इन मंत्रों का कोई खास असर नहीं दिखता कलयुग में। लेकिन हनुमान के सभी मंत्र आज भी काम करते हैं। इस कलयुग में ज्यादातर हनुमान चालीसा की शक्ति का अनुभव हनुमान भक्त कर सकते हैं। हनुमान जी चिरंजीव दिव्य पुरुष हैं। माता सीता को अमरत्व का भूषण प्राप्त है। और आज भी हनुमान जी इस दुनिया के कण कण में भगवान हैं। हनुमानजी के हनुमानचालीसा, बजरंगबाण, हनुमानबाहुक, हनुमानाष्टक आदि में जब इतनी शक्ति है तो अनुमान लगाया जा सकता है कि हनुमानजी वास्तव में कितने शक्तिशाली होंगे।
हनुमान जी बहुत ही प्रिय हैं। जब भी उनके भक्त पर संकट आता है तो कोई भी किसी के रूप में उनकी रक्षा और सुरक्षा करता है। हनुमान जी को अष्टसिद्धि और नवनिधि के बारे में बताया गया है। और यह शक्तियाँ और सिद्धि हनुमान जी के पास थी। जिसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
अंजनिसुता की अणिमा सिद्धि - यह अणिमा सिद्धि बहुत शक्तिशाली और अद्भुत सिद्धि है। इस सिद्धि के माध्यम से तपस्वी या योगी अपने मन की चित को ऐसे नियन्त्रण कर लेते हैं कि वह अपने शरीर का आकार अति लघु आकार में परिवर्तित कर सकते हैं। और यही अणिमा सिद्धि बजरंगबली के पास है। और यह हनुमान जी की प्रथम सिद्धि है। इस अणिमा सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी आपके शरीर को सूक्ष्म आकार में बदल सकते थे। जो भी हैं ये अणिमा सिद्धि के धारक। वह इस संसार के अनोखे महापुरुष नेता हैं।
रामदूताय की महिमा सिद्धि - महिमा सिद्धि यह हनुमान जी की दूसरी और बहुत ही अनोखी सिद्धियाँ हैं। महिमा सिद्धि का मतलब है कि कोई भी इस सिद्धि को पूरा कर सकता है। वह अपने मन और विचार के लक्ष्य से ही शरीर को बड़ा आकार में बदल सकता है। जिस प्रकार से बजरंग बली अपने आकार को बड़ा कर सकते थे। हनुमान जी को यही महिमा सिद्धि प्राप्त हुई थी।
पवनपुत्राय की गरिमा सिद्धि - गरिमा सिद्धि यह एक अलौकिक सिद्धि प्राप्त करने की क्रियाएँ हैं। पुरालेख मन को दार्शनिक कर शरीर का भार बहुत अधिक मात्रा में दिया गया था। इसी प्रकार से पवन पुत्र हनुमान भी अपने शरीर को भारी कर सकते थे। और इस गरिमा सिद्धि का प्रयोग उन्होंने गदाधारी भीम का गौरव तोड़ दिया था।
अंजनिसुता का लघिमा सिद्धि - इस लघिमा सिद्धि के अपनी काया को बहुत ही आसानी से और भारमुक्त किया जा सकता था। और यह सिद्धि महान तपस्वी को ही प्राप्त हुई थी। कम भार होने की वजह से शरीर का आकार छोटा होने से भी ऊपर उठ सकता है। इसी सिद्धि का उपयोग हनुमान जी के लिए द्वीप में उड़ने के लिए करना था। इस सिद्धि में शरीर का भार बिल्कुल एक छोटे से मृग के पंख के समान होता था।
रामदूताय की प्राप्ति सिद्धि -प्राप्त सिद्धि भी बहुत शक्तिशाली है। और यह हनुमान जी का पांचवां सिद्धि है। इस सिद्धि से मन को एकाग्र चित्त कर अपने शरीर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुरक्षित रखा जा सकता है। यहां तक कि इस सिद्धि से शरीर को अदृश्य किया जा सकता है। और प्रत्यक्ष इंसान आपको न ही दिखता है और न ही महसूस होता है। यह सिद्ध सिद्धि हनुमान जी के सिद्धियों में से एक है। बजरंगबली को यह सिद्धि प्राप्त हुई थी। सिद्धि प्राप्ति के द्वारा ही हनुमान जी एक स्थान से दूसरे स्थान पर शीघ्र ही पहुंच सकते थे।
रामदूतय का प्राकाम्य सिद्धि - रामदूतय की प्राकाम्य सिद्धि उन सिद्धियों में से है। जिसे सिद्ध करने से यह पता चल सकता है कि आपके सामने जो भी व्यक्ति समर्पित है उनके मन की बातें, सोच और उनके कार्य योजना को समझा जा सकता है। प्राचीन भारतीय संस्कृति के ग्रंथ और रामायण के अनुसार ठीक ऐसे ही हमारे प्रकार हनुमान जी भी अपने अध्ययन में लोगों का मन भी पढ़ते थे।
अंजनिसुता का वशित्व सिद्धि - हनुमान जी की यह सिद्धि है जिसे कोई भी मनुष्य अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। यानि कि हनुमान के पास इतनी शक्ति थी। कि उसके सामने कोई भी उसे अपने वश में कर सकता है। जिस वजह से बजरंग बली के दुश्मनों की हार निश्चित ही हुई थी। यह सिद्धि को ही वशित्व सिद्धि कहा जाता है।
पवनपुत्राय का ईशित्व सिद्धि - ईशित्व सिद्धि सबसे बड़ी और बहुत शक्तिशाली सिद्धि है। इस सिद्धि के माध्यम से साधना करने वाले ईश्वरत्व को प्राप्त करते हैं। और यह आठवीं सिद्धि हनुमान जी का हैं। जिसके पास यह सिद्धि होती है। वह भगवान के समान नहीं बल्कि स्वयं ईश्वर की डिग्री है। इसलिए हनुमान जी को भगवान यानि की यह भयंकर कलयुग का देवता कहा गया है।
हनुमान जी की विशेष रोचक बातें
हनुमान जी चिरंजीव हैं। यानि की कभी-कभी हनुमान जी की मौत नहीं होगी। क्योंकि माता श्री सीता ने भी अमरत्व का भूषण हनु को दिया था। जिस कारण हनुमान युगों युगों तक जीवित रहे। और राम भक्तों और श्रद्धालुओ की सुरक्षा और उनका मन पूरा करें।
पवनपुत्र भगवान रुद्र के ही अवतार हैं। अर्थात शंकर भगवान की। जो कि हर जीव के सांस में डूबा हुआ है। इसका मतलब यह है. कि हर म्यूजिक सांस लेने वाला वक्त सो स्वर नाख़ून है। और जब सांस बाहर निकलती है। तो अहम् शब्द का स्वर नक्षत्र है। सो+अहम् का अर्थ है कि सिर्फ मैं ही हूं। इस प्रकार शंकर भगवान और हनुमान सदैव हर प्राणी के साथ हैं। बजरंगबली के सुपुत्र भी थे, जिनका उपनाम मकरध्वज था। इस दुनिया में हनुमान की तरह आज तक कोई भक्त नहीं हुआ।
दोस्तो मेरे द्वारा भगवान हनुमान जी की अष्ट सिद्धि के बारे में जानकारी दी गई है। यह लेख भारतीय हिंदू संस्कृति, रामायण और पौराणिक कथाओं पर आधारित है।
तो आज की हमारी पोस्ट कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं और जय श्री राम और जय बजरंगी आपको लिखना न भूलें।
जय हनुमान...
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