Kalki The Destroyer Of Kali

By Just Real Info - अप्रैल 07, 2024

kalki the destroyer of kali - दोस्तो आज के इस पद में हम जानेंगे कि भगवान श्री कृष्ण की कल्कि अवतार के बारे में जिसमे हम पूरा प्रयास किए है। असलियत जानकारी साझा करने की ताकि आप तक सही एवम उच्च जानकारी मिल सके । जैसा कि आप सभी जानते है । एवम हमारे भारतीय संस्कृति हिंदू के पुराणों और ग्रंथों में भी उकेरा गया है। कि श्री नारायण विष्णु का यह दसवां कल्कि अवतार होगा । और यह कलयुग के दौरान भगवान विष्णु का अंतिम व दसवां अवतरण होगा।जिसका वर्णन हमारे हिंदू पौराणिक ग्रंथों,भागवत गीता,विष्णु पुराण,अग्नि पुराण,कल्की पुराण एवम अन्य पुराणों में भी उल्लेख है। वर्तमान स्तिथि में अभी कलयुग निरंतर जारी है। और यह इस कलयुग का पहला चरण ही शुरू हुआ है। जब यह समय का काल चक्र चौथा चरण में प्रवेश करेगा तब की स्तिथि में परम ईश्वर नारायण जी का दसवां अवतार यानि की कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होगा । और समस्त पापियों और दुष्टों का महानाश करके अपने स्थान बैकुंठ धाम में पुनः वापिस चला जाएगा । और भी ज्यादा जानकारी इस विषय में निम्नलिखित हैं।
आखिर कल्कि अवतार की आवश्यकता क्यों हैं? अभी की स्थिती ही कलयुग कहलाता हैं। और कलयुग में ही सबसे ज्यादा पाप,अधर्म,अत्याचार,झूठ,लालच फरेबी,शोषण,लूटपात इत्यादि जब हद से भी ज्यादा बड़ने लगेगा। और यह सभी पाप भयंकर रुप लेकर जब समाज एवम अन्य जीव जंतु पर अकल्याणकारी सिद्ध होगा। तो इन्ही सभी का अंत करने हेतू कल्की अवतार यानि भगवान विष्णु को अवतार होना बहुत ही आवश्यक हैं। और भगवान कृष्ण ने भी यह कहा है कि जब भी धर्म की हानि होगी तब तब मैं इस धरा पर अपने अन्य अवतारों में अवतरित होऊंगा। और दुष्टों का अंत करूंगा।
कल्की अवतार सृष्टि में कैसे आएगा - पौराणिक मान्यता और ग्रंथो के आधार पर कल्की का जन्म ऐसे गांव में जहां अत्यधिक ब्राह्मण निवास करते हो यानि कि उत्तरप्रदेश के संभल गांव में होगा। एवम विष्णु एवम अग्नी पुराण में भी यह लेख लिखा गया हैं कि कल्की के पिता श्री का नाम विष्णुयश और माता श्री का नाम सुमति होगा। और कल्की अवतार को 64 सम्पूर्ण कलाओं से पारंगत होगा।
जिनका सामना करना कम बलशाली मनुष्य और दैत्य के लिए असंभव होगा। कल्की दिखने में काफ़ी मजबूत होगा। साथ ही कल्की रौद्र रूप में दिखेगा।
कल्की का सामना किनके साथ होगा : कल्की अवतार के द्वारा लगभग कलयुग के चौथा स्तर में  पहुंच जाने पर कली पुरुष से मुकाबला होगा । कली पुरूष अत्यंत शक्तिशाली और भयंकर दिखने वाला होगा। यहां तक की कल्की अवतार को भी इनसे मुकाबला हेतू और भी चिरंजीवी का साथ आवश्यक हैं। जो कि वे सात चिरंजीवी किसी न किसी श्राप से श्रापित हुए हैं। एवम कल्की अवतार के द्वारा इन सभी महानपुरुषो को साथ लेके संघर्ष करेगा। कली पुरुष स्वेत अश्व में बैठकर विजय धनुष धारण किए हुए कली पुरुष का अंत करेगा । जिसका नजारा तो हम जैसे मनुष्यो का भाग्य नही क्योंकि उस समय तक जीवित ही नहीं रह पाएंगे।
सात चिरंजीवी सहायक होगा कल्कि अवतार के लिए- पुराने वक्त से लेकर आजतक बहुत से योद्धा और महर्षि किसी न किसी श्राप से शापित हुए जो कलयुग के आंखरी पड़ाव में सभी सात चिरंजीवी अपना अपना योगदान देंगे। और इन्हे जो श्राप या वरदान मिला है। वह किसी न किसी एक ऐसी घटना हेतू प्रयोजन श्री हरि का ही हो सकता है। सात चिरंजीवी का नाम निम्न लिखित रूप से है।
बजरंबली- दोस्तो हनुमान के बारे अभी के समय में कौन नही जानता । हनुमान इस कलयुग के देवता कहे जाते है। क्योंकि अंजनिसूत चिरंजीवी हैं। 
गुरु परशुराम- पौराणिक ग्रंथों एवम मान्यताओं के आधार पर परशुराम श्री विष्णु हरी का ही 6 छठा अवतार माना गया है । परशुराम के द्वारा इस हमारे धरा को इक्कीस बार छत्रियो से विहीन कर दिया गया था । और परशुराम आज भी जीवित है । क्योंकि परशुराम भी चिरजीवी महापुरुष है।
अश्वथामा- जैसे कि आप सभी को ज्ञात अस्वथामा द्रोण पुत्र हैं। जो अपने मित्र कर्ण, दुर्योधन और अपने पिता श्री के मौत का प्रतिशोध लेना चाहता था । जिसके लिए अस्वथामा ने उतरा के गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर ब्रम्हा अस्त्र का अनुसंधान एवम प्रयोग किया था । और श्री कृष्ण के द्वारा मयूर के पंख से इस बालक का स्वयं रक्षा किया गया । और अस्वथामा को कृष्ण के द्वारा पांडाओ को कहा की जो अस्वथामा के मस्तक में जो मणी धारण किए उन्हें निकालो । पांडाओं के द्वारा मणि निकाल लिया गया । और भगवान कृष्ण के द्वारा श्राप दिया गया की अस्वथामा का घाव कभी नहीं भरेगा वह इस पीड़ा को लिए आजीवन कलयुग तक सजा भोगेगा । और संसार को पाप और बुराई का सिख मिलता रहेगा। तभी से अस्वथामा आज भी इस पीड़ा और घाव को अपने ऊपर लिए कलयुग के अंत इंतजार कर रहा है । और इस कलयुग को अंत करने के लिए कल्की का साथ देगा। और अपनी एक अलग भूमिका अदा करेगा।
महर्षि वेदव्यास - महाभारत के रचनाकार महर्षि वेदव्यास भी चिरंजिवी हैं और कलयुग में कल्की अवतार के वक्त अपना मौजूदगी का सबूत देगा।
विभीषण - लंकापति रावण के भाई विभीषण और राम के प्रिय विभीषण भी सात चिरंजीवी में से एक है। जिन्हें भी अमरत्व का वर दान प्राप्त है। और विभीषण भी कल्की का विशेष सहयोग प्रदान करेगा।
कृपाचार्य :- कृपाचार्य अस्वथामा के मामा श्री है । जिन्होंने महाभारत युद्ध में भाग लिया था । और इन्हे भी चिरंजीवी का वरदान प्राप्त है। जो कि कल्की अवतार के समय अपना सहयोग प्रदान करेगा।
राजाबली :-  राजा बली ने अपने ताकत से पूरा तीनों लोक पर जीत हासिल कर लिया था। और बहुत घमंडी हों गया था। साथ ही साथ।राजा बली अत्यंत दानवीर भी था। एक दिन वह जब गरीबों को दान दे रहें थे । तभी भगवान विष्णु ने एक वामन का रूप धारण कर उनसे 3 चरण जमीन मांगा।  देवलोक और धरती में एक एक पांव रखा। और अंत में अंतिम पैर राजा बली के सिर मे रखा और उन्हें पाताल में भेज दिया तभी से राजा बली कलयुग के इंतजार में आज भी जीवित हैं।
कर्ण का सौर्य बनेगा कल्की अवतार का साक्ष्य- 
दानवीर कर्ण का गाथा युगों युगों तक चलता आ रहा है। कर्ण के जैसे दानवीर न कोई हुआ और न ही कोई होगा। जो सूर्य भगवान के द्वारा प्रदत्त कानन कुण्डल और अपने सुरक्षा कवच को भी दान स्वरूप दे दिया। भगवान् परशुराम द्वारा दिया शास्त्र और अस्त्र के विद्या का मान रखा । कर्ण के अंतिम घड़ी में भगवान् परशुराम राम ने कहा था कि मैं चिरंजिवि हु । लेकिन कर्ण आप मृत्युंजय हों गए हो। और जब अंजलिका प्रहार हुआ तब कर्ण के गले से एक दिव्य रोशनी निकल कर समस्त ब्रम्हांड में फैल गया। और सूर्य ने कहा था कि मैं जब तक इस ब्रम्हांड में हु तब तक कर्ण का शौर्य चमकता रहेगा। कर्ण मृतुंजय होने के कर्ण आज भी इस दुनिया में सर्व व्याप्त हैं। और कल्की अवतार के वक्त अपना फिर से कल्की का साथ देके धर्म स्थापित करेगा।
यह लेख पौराणिक कथाओं और ग्रंथो पर आधारित हैं। 

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