Journey Of Dipansh An Inspirational Story to motivate

By Just Real Info - जनवरी 23, 2025



परिचय :-
मानव जीवन में संघर्ष का एक अलग ही महत्व व योगदान होता है। संघर्ष  मनुष्य को सक्षम ही नही अपितु जिंदगी में अग्रसर होने के लिए प्रेरणा देता है। संघर्ष का सामना करना आसान नहीं होता है।लेकिन इसे पूरा मेहनत और मजबूत इरादे के साथ सामना करे तो सफलता निश्चित है। हम दीपांश की यह अद्वितीय कहानी के बारे में बता रहे है। जिन्होंने जीवन के हर पड़ाव में मुसीबतों का सामना करके अपने लक्ष्यों तक पहुंचता है। और दीपांश की यह कहानी अनवरत परिश्रम और इरादे को मतबूत करने की शिक्षा का प्रेरणा देता है।

दीपांश का प्रारंभिक जीवन व बचपन :-
दीपांश का जन्म मध्य राज्य के एक छोटे पहाड़ी क्षेत्र में हुआ था। उनका गांव घने जंगलों से घिरा हुआ था। गांव में पानी, बिजली, स्कूल, पक्की सड़कों का अभाव था। दीपांश का पिता जी एक छोटे किसान थे। जो धान के खेती का कार्य करते थे । एवम कड़ी मेहनत के पश्चात अपने परिवारों का पालन पोषण कर पाते थे। जमाना बदल चुका था। एक तरफ महंगाई आसमान छू रहा था । जिसके कारण  परिवार की मूलभूत सुविधा भी पूर्ण भी हो पाता था।
दीपांश को पढ़ाई में बहुत रुचि था। वह  सभी कक्षा में अच्छे अंक से उत्तीर्ण होते थे । उनका बचपना बहुत ही गरीबी स्थिति से निकला उनके पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे। अपने घर का स्थिति को समझते हुए उसने अपना सभी शौक का सपना छोड़ दिये थे। और अपने मां बाप के कार्यों में सहायता करते थे।

उनके माता पिता बहुत गरीब होने के बावजूद भी दीपांश को आगे पढ़ाना चाहते थे। उसकी मां हमेशा समझाती कि शिक्षा ही जीवन का सार है । माता पिता की बाते सुनकर दीपांश के मन में पढ़ाई के प्रति रुचि चौगुनी हो जाता था। और वह अपने पढ़ाई के प्रति अपना ध्यान केंद्रित करने लग जाता था।

मुश्किल की घड़ी :-
दीपांश जैसे ही बारहवीं की परीक्षा पास किया उनके पास बहुत बड़ा समस्या था। आखिर वह कॉलेज में कैसे दाखिल करे क्योंकि उनके पास पैसे का कमी था। जिसके कारण से वह अपने कॉलेज का शुल्क भरने असक्षम थे।

उन्होंने  एक बहुत बड़ा फैसला लिया की वह कुछ काम करेगा । और अपने घर का खर्चा और कॉलेज का फीस खुद से करेगा। तब उसने काम का तलाश किया लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था । आखिर वह कौन सा काम करे जिससे आमदनी हो । फिर उन्होंने अखबार एजेंसी जाकर अखबार पहुंचाने वाला काम शुरू कर दिया। वह बरसात और ठंड के मौसम में भी बिना जैकेट और रेनकोट के भीगता हुआ अखबार बांटता था।

दीपांश इतना मेहनत करने के बावजूद भी हार मानने वालो में से नही था। वह सुबह अकबर बांटता और शाम को एक शॉप में काम करता था। और रात के समय में देर रात तक पढ़ाई में लगा रहता था। उन्होंने कभी अपने आत्मविश्वास को कमजोर होने नही दिया । और लगातार अपने कार्य और पढ़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित करते रहे। और आने वाले परीक्षा की तैयारी बड़ा जोर शोर से करने लगे।

दीपांश को मिला एक मौका :-
एक दिन दीपांश मार्केट से कुछ सामान लाया और जब उसके पेपर निकाला तो उनका नजर एक हेडलाइन पर पड़ा जहां कब्बड्डी प्रतियोगिता के बारे में लिखा था । जिसमे प्रथम पुरुस्कार पाने वाले को 1 लाख का इनाम था। उसने तय किया कि वह उस प्रतियोगिता में भाग लेगा। और उसने कबड्डी के लिए एंट्री फीस भर दिया। 

प्रतियोगिता में प्रथम आना  आसान काम नही था क्योंकि उस प्रतियोगिता में बड़े बड़े दिग्गज खिलाड़ी भाग लिए थे। फिर भी दीपांश हार ना मानते हुए बहुत अच्छे से मैदान में प्रदर्शन किया । मैदान तालियों से गूंज उठा। क्योंकि उनका दल प्रथम स्थान पा चुका था। 

प्रतियोगिता में मिले पुरुस्कार राशि को दल के सभी सदस्य आपस में बांट लिए जिसमे दीपांश को दस हजार रुपय मिले। उसने पैसे से अपना कॉलेज का फीस भर दिया और कॉलेज में अपना नेम दाखिल करवा लिया। 

नया कॉलेज में चुनौतियां :-
दीपांश को कॉलेज में सीट तो मिल गया लेकिन शहरी माहौल था। जहां पर सफर करना । यह उनके लिए बहुत बड़ा चुनौती था। गांव के निवासी होने के कारण शहर के रहन सहन से वह दुखी हो रहा था। फिर भी अपने मन में काबू पा कर वह अपना प्रयास जारी रखा।

ग्रामीण अंचल से होने की वजह से उनके बोली और भाषा शहर के माहौल के हिसाब से उपयुक्त नहीं था। जहां उन्होंने दाखिला लिया था। वहां ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाता था। जिससे दीपांश को बहुत कठिनाईयां होने लगा था। लेकिन उन्होंने कठिन मेहनत और पढ़ाई करते हुए शहर के वातावरण में घुल मिल गए।

दीपांश का वेशभूषा गांव के हिसाब से सामान्य था। घर की गरीबी स्थिति के कारण अच्छे महंगे कपड़े नही खरीद सकते थे । जिसे देख उनके कॉलेज वाले उनका मजाक उड़ाते और चिढ़ाया करते थे। लेकिन सभी बातो को नजरंदाज करते हुए अपने पढ़ाई में हमेशा लगे रहते थे। 


सफलता का पहला सीढ़ी :-
दीपांश का कठोर मेहनत और आत्मविश्वास रंग लाया और वह अपने कॉलेज में अच्छे प्रतिशत के साथ पहला स्थान प्राप्त कर लिया । जिसके कारण उन्हें एक बहुत बड़े मीडिया कंपनी में नौकरी मिला गया । जहां पर उनका तनख्वा घर चलाने एवम स्थितियों को सुधारने हेतु पर्याप्त था। दीपांश एक समय में अखबार बेचकर जीवन में आने वाले अनंत कठिनाईयों से संघर्ष किया । लेकिन अब वह एक सफल इंसान बन चुका था। और उसने अपने सभी अरमान पूरा कर लिया। 

प्रेरणा का अद्वितीय उदाहरण :-
दीपांश का कहानी से शिक्षा मिलता है । कि चाहे जीवन में कितना भी कठिनाई आ जाए उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए। संघर्षों के कारण ही मजबूत बना जा सकता है। जो जिंदगी में अग्रसर होने का प्रेरणा का स्रोत बनता है। आखिरकार दीपांश ने यह साबित किया कि मेहनत और आत्मविश्वास से अपने लक्ष्य को पूर्णकर सारे अरमान को पूरा किया जा सकता है।

निष्कर्ष :- दीपांश की कहानी प्रेरणादायक होने साथ साथ एक सबक भी है। जो सिखाता है कि जीवन में कोई भी असंभव कार्य नामुमकिन नहीं होता है। अपना धैर्य,साहस, परिश्रम और आत्मविश्वास से काम करके हर बाधाओं से मुक्ति पाया जा सकता है।







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