संघर्ष से सफलता तक का सफर। Journey From Struggle To Success
By Just Real Info - जनवरी 17, 2025
परिचय:- जिंदगी के चुनौती से निपटना
मनुष्य व धरा में निवास कर रहे समस्त प्राणियों के जीवन को एक लंबी यात्रा के तौर में देखा जाता है। मनुष्य का जीवन अविरल नदी के धारा के सामान है। जो अनवरत बहता रहता है। जिस प्रकार नदी अपनी धरा को चयन कर अपने रास्ता प्रशस्त करता है। ठीक उसी प्रकार इंसान अपने जीवन में आने वाले चुनौतियों को स्वीकार एवं सामना करके अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करता है। यह कहानी मयंक का है जिन्होंने अपने जीवन में कठिन मुश्किलों का सामना किया और हार मानने के बदले जीवन में संघर्ष करने का रास्ता अपनाया।
1.कठिन स्थिति में बचपन का दौर
मयंक का जन्म हिन्दुस्तान के मध्य राज्य छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में हुआ था। उसके परिवार का स्थिति काफी गरीब था । उनके माता पिता बांस की टोकरी और अन्य प्रकार के सामान बनाते थे। जिसे बेच कर परिवार का खर्चा चलाते थे। मयंक को पता था कि उनका जीवन आसान नहीं है बल्कि उनको आगे बढ़ने के लिए निरंतर कठिन परिश्रम करना होगा।
मयंक काफी समझदार था। और अपने माता पिता के कामों में अपना सहयोग देते थे। उनके मन में पढ़ाई करने का इच्छा था। और सफल होके एक बहुत अच्छा मास्टर बनना चाहता था। गांव में स्कूल का सुविधा न होने के कारण मयंक को काफी दूर तक पैदल यात्रा का सफर करना पड़ता था। मयंक को घर से स्कूल तक पहुंचने में बहुत ही चुनौती का सामना करना पड़ता था । फिर भी उन्होंने कभी अपना आत्मविश्वास को कम होने नहीं दिया। और लगातार पढ़ाई में जुट गए।
2 जीवन के वास्तविक सच्चाई का साक्षात्कार
कुछ वर्ष बीत गए अब मयंक बड़ा हो चुका था। महंगाई काफी हद तक सीमा पार कर गया था। लेकिन उनके घर का स्थिति अब पहले से ज्यादा गरीबी हो चुका था। क्योंकि उनके पिता को लकवा बीमारी हो गया था जिसके चलते वह अब काम नहीं कर सकता था । काम न कर पाने की वजह से पैसों की तंगी होने लगा ।क्योंकि उनके पिता जी ही एक मात्र काम करने वाला था जिसके वजह से उनका घर चलता था। अब घर का पूरा जिम्मेदारी मयंक के कंधों में आ गया था। वह अपने पढ़ाई के साथ साथ अब बांस के धंधा को करने लगा और कुछ पैसे कमाने लगे।
मयंक ने कठिन परिश्रम के बावजूद भी अपना शिक्षा को निरंतर जारी रखा। मयंक रात देर तक चिमनी के प्रकाश में पढ़ाई किया करते थे। लेकिन उनके दिमाग में पढ़ाई के संबंध कई सवाल थे। क्या पढ़ाई करना उचित है? क्या वह पढ़ाई करके गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर निकल पाएगा?
3 .नया मोड़ उम्मीद की किरण
यह उन दिनों की बात है जब मयंक के गांव में एक महिला शिक्षक जागरूकता अभियान के लिए आया था। यह मयंक के जीवन में नया मोड़ था। शिक्षक के द्वारा शिक्षा के महत्व और आवश्यकता के विभिन्न विषयों में जानकारी बताया गया। यह सभी बातों को सुनकर मयंक काफी प्रभावित हुए। और उनके मन में नया उम्मीद का पौधा खिला । मयंक की लगन और जिज्ञासा को देखते हुए। शिक्षक ने उनको दक्षता कार्यक्रम हेतु बुलाया । यह मयंक के लिए किसी अवसर से कम नहीं था। लेकिन जहां दक्षता कार्यक्रम होना था । वह उनके गांव से काफी दूर था। उनके पास वहां जाने हेतु पैसे नहीं थे ।
वह काफी अंदर से निराश हो गए फिर उनके मां द्वारा बोले गए शब्द याद आया कि "जब जिंदगी में अपने आप को नीचे पाओ तो पूरी मेहनत और ताकत से उठने का प्रयास करना चाहिए" तभी फिर से मयंक में सपने को सच करने का हौसला आया। अपने साथी से कुछ पैसे उधार मांगकर शहर में दक्षता कार्यक्रम हेतु निकल पड़े । वहां उन्होंने कार्यक्रम में भाग लिया और प्रथम आया। और उनको पुरस्कार और कुछ रुपए भी दिया गया। यह देख मयंक बहुत खुश हुआ और एक शिक्षक बनने का सपना अपने मन में संजो लिए।
4 एक कुशल शिक्षक बनने का सफर
कार्यक्रम से घर वापिस आने के पश्चात उन्होंने एक निर्णय लिया । वह अपने गांव के सभी बच्चों को टयूशन देने का विचार बनाया। तभी से गांव के बच्चों को इकट्ठा कर ट्यूशन देना शुरू कर दिया। और वह ट्यूशन देने के बदले कुछ फ़ीस लेना प्रारंभ किया। जिसके चलते उनके आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया। और साथ ही साथ वह रातों में अपना पढ़ाई किया करते थे। इस प्रकार से 1 साल में उनके पास बहुत पैसे जमा हो गए जिनका उपयोग उन्होंने डीएड की डिग्री लेने के लिए किया। 2 साल बाद उन्होंने अपना पढ़ाई पूर्ण किया और शिक्षक पद के लिया फॉर्म भर लिया और किस्मत और कठिन मेहनत से उनको शिक्षक का नौकरी मिल गया।
5 . गरीबी समस्या का समापन
अब मयंक के पास अच्छा नौकरी था। जिसका उनको वेतन मिलता था। और साइड इनकम के तौर पर भी उसने ट्यूशन देने का कार्य को करता रहा । इसके अलावा उन्होंने जमा किए गए पैसे से अपने घर के धंधे के लिए एक बड़ा सा दुकान खोल लिया था। जिसका देखभाल उनकी माता किया करती थी। इस प्रकार से मयंक का गरीबी हमेशा हमेशा के दूर हो गया। और वह अपनी मेहनत और लगन से एक अच्छा सफल इंसान बन पाया । उन्होंने अपना घर को पक्की मकान में बदल दिया । और जरूरत की पूरा संसाधनों को भी पा लिया।
कहानी से सीख
इस कहानी से सीख मिलता है कि मेहनत करके सफलता को हासिल किया जा सकता है। चाहे चुनौती कितना भी कठिन हो । जिस प्रकार से मयंक मेहनत और लगन से सफल इंसान बन गया। उसी प्रकार सभी परिश्रम कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते है।
कहानी के बारे में
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है शिक्षा और जन जागरूकता हेतु लिखा गया है। ताकि इस कहानी के माध्यम से लोगों को उचित प्रेरणा मिल सके।
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